भारत ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत संचयी स्थापित क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है और वर्ष 2030 तक अपने जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। ऊर्जा मिश्रण में एक महत्वपूर्ण मात्रा में परिवर्तनशील और अनिरंतर अक्षय ऊर्जा, ग्रिड स्थिरता और निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए चुनौती पैदा करती है। अक्षय ऊर्जा संसाधनों के समय, मौसम, ऋतु अथवा भौगौलिक स्थिति के साथ उनकी अनिरंतर प्रकृति के कारण चुनौतिया उत्पन्न होती हैं। ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (ईएसएस) का उपयोग अक्षय ऊर्जा से उत्पन्न उपलब्ध ऊर्जा के भंडारण में उपयोग किया जा सकता है और इसके अलावा दिन के पीक घंटों के दौरान उपयोग किया जा सकता है। ऊर्जा भंडारण के विभिन्न लाभ, अक्षय ऊर्जा स्रोतों में उत्पादन की अनिरंतरता को कम करना, ग्रिड स्थिरता में सुधार लाना, ऊर्जा/पीक शिफ्टिंग को सक्षम बनाना, सहायक सेवाएं प्रदान करना, व्यापक अक्षय ऊर्जा एकीकरण को सक्षम बनाना, पीक घाटा और पीक टैरिफों को कम करना, कार्बन उत्सर्जन को कम करना, पारेषण का स्थगन और वितरण कैपेक्स तथा ऊर्जा आर्बिट्रेज इत्यादि हैं।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) 2023 के अनुसार, वर्ष 2026-27 में ऊर्जा भंडारण क्षमता की आवश्यकता 82.37 गीगावाट घंटे (पीएसपी से 47.65 गीगावाट घंटे और बीईएसएस से 34.72 गीगावाट घंटे) होने का अनुमान है। यह आवश्यकता, वर्ष 2031-32 में बढ़कर 411.4 गीगावाट घंटे (पीएसपी से 175.18 गीगावाट घंटे और बीईएसएस से 236.22 गीगावाट घंटे) होने का अनुमान है। इसके अलावा, सीईए ने यह भी अनुमान लगाया है कि वर्ष 2047 तक, वर्ष 2070 के लिए निर्धारित शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों के आलोक में नवीकरणीय ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा में वृद्धि के कारण ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता बढ़कर 2380 गीगावाट घंटे (पीएसपी से 540 गीगावाट घंटे और बीईएसएस से 1840 गीगावाट) होने का अनुमान है। ऊर्जा भंडारण दायित्वों (ईएसओ) के लिए एक दीर्घकालिक ट्रेजेक्टरी को भी विद्युत मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाध्य संस्थाओं के पास पर्याप्त भंडारण क्षमता उपलब्ध हो। ट्रेजेक्टरी के अनुसार, ईएसओ वित्त वर्ष 2023-24 में 1% से धीरे-धीरे बढ़कर, 0.5% की वार्षिक वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2029-30 तक 4% हो जाएगा। इस दायित्व को तभी पूरा माना जाएगा जब संग्रहीत कुल ऊर्जा की कम से कम 85% की खरीद वार्षिक आधार पर अक्षय ऊर्जा स्रोतों से की जाएगी।
विभिन्न प्रकार की ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं, इनमें मोटे तौर पर – मिकेनिकल, इलेक्ट्रोकेमिकल, तापीय (थर्मल), इलेक्ट्रिकल और रासायनिक भंडारण प्रणाली (केमिकल स्टोरेज सिस्टम) शामिल हैं, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है: