वर्ष 2012 में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) द्वारा एक अध्ययन कराया गया जिसमें पाया गया कि संभाव्यता वाले स्थलों के आसपास विद्युत की निकासी एवं पारेषण अवसंरचना पर्याप्त नहीं थी और इसलिए बड़े स्तर पर सौर एवं पवन विद्युत संयंत्र के लिए समर्पित पारेषण अवसंरचना की योजना बनाई गई। पीजीसीआईएल द्वारा सितंबर, 2012 में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (जीईसी) रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। पीजीसीआईएल की रिपोर्ट के आधार पर राज्यों द्वारा अपनी पारेषण योजनाएं बनाई गईं और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के समक्ष मूल्यांकन के लिए प्रस्तुत की गई। विधिवत अनुमोदन प्रक्रिया के बाद वर्ष 2015 में कार्यान्वयन आरंभ हुआ।
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के तहत 2 योजनाएं हैं:
- इंट्रा-स्टेट जीईसी चरण-I
- इंट्रा-स्टेट जीईसी चरण-II