सौर ऊर्जा में अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन (आरडी एंड डी)
अनुसंधान, डिजाइन, विकास और इसके सत्यापन के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, सौर ऊर्जा के विकास की एक प्रमुख आवश्यकता है। स्वदेशी स्तर पर सौर ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण हेतु नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं, सामग्रियों, घटकों, उप-प्रणालियों, उत्पादों और सेवाओं, मानकों और संसाधन मूल्यांकन को विकसित करने के लिए अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन (आरडी एंड डी) को सहयोग प्रदान करता है।
उद्देश्य
- अनुसंधान, डिजाइन, विकास, मानकीकरण और प्रदर्शन
- सौर ऊर्जा प्रणालियों/उपकरणों की लागत कम करना
- प्रणालियों/उपकरणों की दक्षता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता में सुधार करना
- घरेलू विनिर्माण आधार को मजबूत बनाना
- उद्योग को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना और सौर ऊर्जा उत्पादन की आपूर्ति, स्व-स्थायी/लाभप्रद बनाना और इस प्रकार देश में कुल ऊर्जा मिश्रण में इसकी हिस्सेदारी बढ़ाने में योगदान करना।
नीति और दिशानिर्देश
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आरडी एंड डी का समर्थन करने के लिए, जिसमें उद्योग द्वारा बाज़ार विकास हेतु किए जाने वाले आरडी एंड डी में सहायता और सहयोग करना भी सम्मिलित है, अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन (आरडी एंड डी) पर एक व्यापक नीतिगतरूपरेखा स्थापित है। नीतिगत रूपरेखा, परियोजना चिन्हांकन, प्रतिपादन, निगरानी, मूल्यांकन, अनुमोदन और वित्तीय सहायता के लिए दिशानिर्देश प्रदान करती है। आरएंडडी/शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों आदि से प्राप्त आरडी एंड डी परियोजनाएं विषय विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकित की जाती हैं। पात्र परियोजनाओं का मूल्यांकन अनुसंधान एवं विकास परियोजना मूल्यांकन समितियों द्वारा किया जाता है। समितियों द्वारा अनुशंसित परियोजनाएं, संभावित क्रियान्वयन एजेंसियों हेतु स्वीकृत की जाती हैं। निगरानी समितियों द्वारा परियोजनाओं की निगरानी की जाती है। पूरी होने वाली परियोजनाओं की उपलब्धियों की समीक्षा परियोजना मूल्यांकन समिति की बैठकों में की जाती है।
# अनुसंधान एवं विकास नीति
केन्द्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए)
शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, सरकारी/गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठनों आदि से प्रस्ताव कुल परियोजना लागत के 100% तक वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगे। निजी संस्थानों/अनुसंधान संगठन को वित्तीय सहायता परियोजना लागत के 50% तक सीमित रहेगी;
स्टार्ट-अप, उद्यमी, विनिर्माण इकाइयां आदि भी प्रौद्योगिकी विकास के लिए परियोजना की 50% लागत तक वित्तीय सहायता हेतु पात्र हैं।
| क्षेत्र | प्रौद्योगिकी अंतराल | अनुसंधान क्षेत्र |
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| सोलर फोटोवोल्टिक |
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| सोलर तापीय अनुप्रयोग |
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