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    अनुसंधान एवं विकास अवलोकन

    नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास हेतु मुख्य आवश्यकताओं में अनुसंधान, डिजाइन, विकास और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन इनकी वैधता के लिए एक अनिवार्य पहलू है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं, सामग्रियों, कंपोनेंट, उप-प्रणालियों, उत्पादों एवं सेवाओं, मानकों और संसाधन मूल्यांकन को विकसित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के लिए अनुसंधान, डिजाइन, प्रौद्योगिकी विकास और प्रदर्शन में सहायता करता है ताकि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों और उपकरणों का स्वदेशी निर्माण किया जा सके । कार्यक्रम का उद्देश्य इस उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की आपूर्ति में आत्मनिर्भर/लाभकारी बनाना है और देश में कुल ऊर्जा मिश्रण में हिस्सेदारी बढ़ाने में योगदान देना है।

    सौर, पवन, सौर-पवन हाइब्रिड, भंडारण, लघु जलविद्युत, बायोगैस, हाइड्रोजन और फ्यूल सेल, भू-तापीय, आदि के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास संस्थानों/विश्वविद्यालयों, उद्योगों और गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) आदि से प्राप्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर मंत्रालय द्वारा वित्तीय सहायता हेतु विचार किया जाता है।

    नीति एवं दिशानिर्देश

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को सहयोग देने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम पर व्यापक नीति संरचना मौजूद है, जिसमें बाजार विकास हेतु उद्योग द्वारा अर्जित अनुसंधान एवं विकास को जोड़ना और समर्थन करना शामिल है। मंत्रालय सरकारी/गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठनों/एनजीओ को 100% तक और उद्योग को 50 से 70% तक वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

    यह नीति फ्रेमवर्क परियोजना की पहचान, निर्माण, निगरानी, मूल्यांकन, अनुमोदन और वित्तीय सहायता के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। अनुसंधान एवं विकास/शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों आदि से प्राप्त अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का मूल्यांकन विषय विशेषज्ञों के माध्यम से किया जाता है। पात्र परियोजनाओं का मूल्यांकन अनुसंधान एवं विकास परियोजना मूल्यांकन समितियों द्वारा किया जाता है। समितियों द्वारा अनुशंसित परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु इन्हें संभावित कार्यान्वयन एजेंसियों को मंजूर किया जाता है। परियोजनाओं की मानिटरिंग निगरानी समितियों द्वारा की जाती है। कार्य पूर्ण होने पर परियोजनाओं की उपलब्धियों के लिए परियोजना मूल्यांकन समिति की बैठकों में समीक्षा की जाती है।

    आर एंड डी पर ध्यान देना

    नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों, कंपोनेंटों और बीओएस की लागत में कमी, विश्वसनीयता तथा दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने सहित आर एंड डी प्रयास जारी हैं। सौर तापीय, एसपीवी, बायोगैस, पवन, पवन-हाइब्रिड, भंडारण, लघु हाइड्रो विद्युत, हाइड्रोजन और फ्यूल सेल, भू-तापीय इत्यादि में मंत्रालय के अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र के अनुसार, परियोजना को आर एंड डी गतिविधि के लिए सहयोग दिया जाता है। अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आने वाले अन्य क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए उनके अनुप्रयोगों और व्यावहारिक महत्व के आधार पर वित्तीय सहायता के लिए विचार किया जाता है।

    संस्थागत तंत्र

    मंत्रालय, तेजी से विकास और वाणिज्यिकरण के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन हेतु सहयोग के लिए संस्थागत तंत्र के लिए सक्षम परिस्थितियों के निर्माण में सहयोग कर रहा है। मंत्रालय ने आर एंड डी को आगे बढ़ाने के लिए अपने संस्थानों, अर्थात् राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (नाइस), गुरुग्राम, राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा संस्थान (नीबे), कपूरथला और राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई), चेन्नई को क्रमशः सौर, जैव ऊर्जा और पवन ऊर्जा प्रणालियों में परीक्षण, मानकीकरण और प्रमाणन कार्यों के लिए सशक्त करने की पहल की हैं। इन पहलों में भागीदार मंत्रालयों/विभागों/उद्योगों द्वारा लागत साझेदारी के आधार पर प्रौद्योगिकी विकास के लिए उद्योग सहित संघ में परियोजनाओं का समर्थन करने की व्यवस्था की गई है।