भारत में पवन ऊर्जा क्षेत्र, स्वदेशी पवन ऊर्जा उद्योग के नेतृत्व में है और यह निरंतर प्रगति कर रहा है। पवन उद्योग के विस्तार के परिणामस्वरूप एक मजबूत पारितंत्र, परियोजना संचालन क्षमता और लगभग 10,000 एमडब्ल्यू (मेगावाट) प्रति वर्ष का उत्पादन आधार निर्मित हुआ है। (31 मार्च 2019 तक की स्थिति के अनुसार) कुल 35.6 जीडब्ल्यू की स्थापित क्षमता के साथ वर्तमान में देश में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी पवन संस्थापित क्षमता है, और 2017-18 के दौरान लगभग 52.66 बिलियन यूनिट्स का उत्पादन किया गया।
सरकार, विभिन्न मौद्रिक और वित्तीय प्रोत्साहन जैसे कि त्वरित मूल्यह्रास लाभ, पवन बिजली जनरेटर के कुछ घटकों पर रियायती कस्टम ड्यूटी छूट आदि प्रदान करके निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से पूरे देश में पवन ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, 31 मार्च 2017 से पहले चालू की गई पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (जीबीआई) योजना उपलब्ध कराई गई।
उपरोक्त मौद्रिक और अन्य प्रोत्साहनों के अलावा, देश में पवन ऊर्जा क्षमता स्थापना को बढ़ावा देने के लिए निम्न कदम भी उठाए गए हैं:
- राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान, चेन्नई के माध्यम से पवन संसाधन मूल्यांकन और संभावित साइटों की पहचान सहित तकनीकी सहायता।
- पवन ऊर्जा की अंतर-राज्यीय बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए, मार्च, 2022 तक चालू होने वाली पवन और सोलर परियोजनाओं के लिए अंतर-राज्य पारेषण शुल्क और हानि को माफ कर दिया गया है।
- प्रक्रिया के मानकीकरण और विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को निर्धारित करने के साथ, बोली लगाने की पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से पवन ऊर्जा की खरीद के लिए एक रूपरेखा प्रदान करने के उद्देश्य के साथ ग्रिड कनेक्टेड पवन ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए। वितरण लाइसेंसधारकों को लागत कुशल तरीके से प्रतिस्पर्धी दरों पर पवन ऊर्जा प्राप्त करने में सक्षम बनाना इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य है।
भारत में पवन ऊर्जा की संभावित क्षमता
पवन, एक सविराम और साइट-विशिष्ट ऊर्जा संसाधन है और इसलिए, संभावित साइटों के चयन हेतु व्यापक पवन संसाधन मूल्यांकन आवश्यक होता है। राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी) (एनआईडब्ल्यूई) के माध्यम से सरकार ने पूरे देश में भूमि स्तर से 50 मी, 80 मी, 100 मी, 120 मी और 150 मी ऊपर 900 से अधिक पवन-निगरानी स्टेशन स्थापित किए हैं और पवन संभावित मानचित्र जारी किए हैं। हाल में किए गए आकलन से देश में भूमि स्तर से 100 मी ऊपर 302 जीडब्ल्यू की सकल पवन ऊर्जा क्षमता का संकेत मिला है। इसमें से अधिकांश क्षमता, सात प्रमुख पवन युक्त राज्यों में निम्नानुसार उपलब्ध हैं:-
क्रम संख्या | राज्य | 120 मीटर (GW) पर पवन क्षमता | 150 मीटर (GW) पर पवन क्षमता |
---|---|---|---|
1 | आंध्र प्रदेश | 74.90 | 123.3 |
2 | गुजरात | 142.56 | 180.8 |
3 | कर्नाटक | 124.15 | 169.3 |
4 | मध्य प्रदेश | 15.40 | 55.4 |
5 | महाराष्ट्र | 98.21 | 173.9 |
6 | राजस्थान | 127.75 | 284.2 |
7 | तमिलनाडु | 68.75 | 95.1 |
8 | तेलंगाना | 24.83 | 54.7 |
कुल 8 हवादार राज्य | 676.55 | 1136.7 | |
9 | अन्य | 18.95 | 27.1 |
कुल | 695.50 | 1163.9 |