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    प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम)

    प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम)

    उद्देश्य

    • योजना का उद्देश्य कार्यान्वयन एजेंसियों को सेवा शुल्क सहित 34,422 करोड़ की कुल केन्द्रीय वित्तीय सहायता के साथ सौर क्षमता में वर्ष 2022 तक 30,800 मेगावाट की वृद्धि करना है।
    • योजना के तीन घटक हैं:
      • घटक-क: 2 मेगावाट तक की क्षमता के लघु सौर विद्युत संयंत्रों की स्थापना के माध्यम से 10,000 मेगावाट सौर क्षमता
      • घटक-ख: 20 लाख स्टैंड-अलोन सौर चालित कृषि पंपों की स्थापना
      • घटक-ग: 15 लाख ग्रिड संबद्ध कृषि पंपों का सौरीकरण

    अवधि

    दिनांक 31.12.2026 तक

    मुख्य विशेषताएं

    • घटक-क:
      • व्यक्तिगत किसानों / किसान समूहों / सहकारी समितियों / पंचायतों / कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) / जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए), जिसे इसके बाद सौर विद्युत उत्पादक (एसपीजी) कहा जाएगा, द्वारा 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की क्षमता के सौर ऊर्जा आधारित विद्युत संयंत्र (एसईपीपी) स्थापित किए जाएंगे। यदि उपर्युक्त संगठन एसईपीपी की स्थापना के लिए अपेक्षित इक्विटी की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं, तो वे डेवलपरों अथवा स्थानीय डिस्कॉम, जिसे इस मामले में एसपीजी कहा जाएगा, के माध्यम से एसईपीपी विकसित करने के लिए विकल्प का चयन कर सकते हैं।
      • डिस्कॉम, सब-स्टेशन वार सरप्लस क्षमता अधिसूचित करेंगे, जिसे ऐसे एसईपीपी से ग्रिड में पहुंचाया जा सकता है और सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए इच्छुक लाभार्थियों से आवेदन आमंत्रित करेंगे।
      • उत्पादित सौर विद्युत की खरीद, संबंधित राज्य विद्युत विनियामक आयोग (एसईआरसी) द्वारा निर्धारित फीड-इन-टैरिफ पर डिस्कॉम द्वारा की जाएगी।
      • डिस्कॉम, वाणिज्यिक प्रचालन की तिथि (सीओडी) से 5 वर्षों की अवधि के लिए खरीदी गई प्रति यूनिट पर 0.40 प्रति रु. अथवा स्थापित क्षमता के प्रति मेगावाट पर 6.6 लाख रु. की दर से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) के लिए पात्र होंगे।
    • घटक-ख:
      • ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों, जहां ग्रिड की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, में 7.5 एचपी तक की क्षमता के स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंपों की स्थापना करने के लिए किसानों को सहायता दी जाएगी।
      • स्टैंड-अलोन सौर कृषि पंप की बेंचमार्क लागत अथवा निविदा लागत, इनमें से जो भी कम हो, का 30% सीएफए प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार कम-से-कम 30% सब्सिडी देगी और शेष अधिकतम 40% किसान द्वारा दिया जाएगा। किसान द्वारा बैंक वित्त भी प्राप्त किया जा सकता है ताकि किसान को आरंभ में लागत का केवल 10% और ऋण के रूप में लागत का शेष 30% तक भुगतान करना होगा।
      • पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में स्टैंड-अलोन सौर पंप की बेंचमार्क लागत अथवा निविदा लागत, इनमें से जो भी कम हो, का 50% सीएफए दिया जाएगा। राज्य सरकार, कम-से-कम 30% सब्सिडी देगी और शेष अधिकतम 20% किसान द्वारा दिया जाएगा।
    • घटक-ग: व्यक्तिगत पंप का सौरीकरण (आईपीएस)
      • ग्रिड संबद्ध कृषि पंप वाले व्यक्तिगत किसानों को पंपों का सौरीकरण करने के लिए सहायता दी जाएगी। योजना के तहत, किलोवाट में पंप की दुगुनी क्षमता तक सौर पीवी क्षमता की अनुमति है।
      • किसान, सिंचाई की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए उत्पादित सौर विद्युत का उपयोग कर पाएंगे और शेष सौर विद्युत डिस्कॉम को बेच दिया जाएगा।
      • सौर पीवी कंपोनेंट की बेंचमार्क लागत अथवा निविदा लागत, इनमें से जो भी कम हो, का 30% सीएफए प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार कम-से-कम 30% सब्सिडी देगी और शेष अधिकतम 40% किसान द्वारा दिया जाएगा। किसान द्वारा बैंक ऋण भी लिया जा सकता है ताकि किसान को आरंभ में लागत का केवल 10% और शेष लागत के रूप में ऋण का 30% भुगतान करना पड़े।
      • पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में सौर पीवी कंपोनेंट की बेंचमार्क लागत अथवा निविदा लागत, इनमें से जो भी कम हो, का 50% सीएफए दिया जाएगा। राज्य सरकार, कम-से-कम 30% सब्सिडी देगी और शेष अधिकतम 20% किसान द्वारा दिया जाएगा।
    • घटक-ग: फीडर स्तरीय सौरीकरण (एफएलएस)
      • व्यक्तिगत सौर पंपों के स्थान पर, राज्यों द्वारा कृषि फीडरों का सौरीकरण किया जा सकता है। दिशानिर्देश दिनांक 04.12.2020 को जारी किये गए।
      • जहां कृषि फीडर अलग नहीं किये गए हैं, फीडर अलग करने के लिए नाबार्ड अथवा पीएफसी / आरईसी से ऋण लिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, विद्युत मंत्रालय की पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना – आरडीएसएस के तहत फीडर अलग करने हेतु सहायता प्राप्त की जा सकती है। तथापि, इन सभी के सम्मिश्रण का भी सौरीकरण किया जा सकता है।
      • चुनिंदा फीडर के कृषि लोड की आवश्यकता पूरी करने की क्षमता वाले सौर संयंत्र, कैपेक्स / रेस्को मोड में 25 वर्षों की परियोजना अवधि के लिए स्थापित किये जा सकते हैं।
      • सौर विद्युत संयंत्र की स्थापना की लागत का 30% तक सीएफए (प्रति मेगावाट 1.05 करोड़ रु. तक) दिया जाएगा। तथापि, पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में 50% सब्सिडी उपलब्ध है।
      • किसानों को सिंचाई के लिए निःशुल्क अथवा संबंधित राज्य द्वारा तय किये गए टैरिफ पर दिनभर बिजली मिलेगी।

    वित्तीय सहायता कैसे प्राप्त करें

    • घटक-क:
      • संबंधित राज्य विद्युत विनियामक आयोग (एसईआरसी) द्वारा अनुमोदित फीड-इन-टैरिफ (एफआईटी) पर डिस्कॉम द्वारा, उत्पादित सौर विद्युत की खरीद की जाएगी।
      • यदि किसान / कृषक समूह / सहकारी समिति / पंचायत / किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) आदि एसईपीपी की स्थापना करने के लिए अपेक्षित इक्विटी की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं, तो वे डेवलपर अथवा स्थानीय डिस्कॉम, जिसे इस मामले में आरपीजी कहा जाएगा, के माध्यम से एसईपीपी विकसित करने का विकल्प चुन सकते हैं। ऐसे मामलों में जमीन का मालिक, पक्षों के बीच आपसी सहमति के अनुसार, जमीन के पट्टे की राशि (किराया) प्राप्त करेंगे।
      • उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई) प्राप्त करने के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों से अनुरोध किया गया है कि वे संयुक्त मीटरिंग रिपोर्ट की हस्ताक्षरित प्रति और लाभार्थी / भू-स्वामी, जो भी लागू हो, को दिए गए पट्टे की राशि की रसीद के साथ, उन परियोजनाओं के लिए सीओडी चालू करने की तिथि से 5 वर्षों तक के लिए अपना दावा प्रस्तुत करें, जो इनके चालू होने की तिथि के 1 वर्ष बाद पूरी की गई हैं।
    • घटक-ख और घटक-ग (आईपीएस)
      • सौर पंपों और वर्तमान ग्रिड संबद्ध पंपों के सौरीकरण के लिए एमएनआरई द्वारा राज्य-वार आवंटन, सचिव, एमएनआरई की अध्यक्षता में जांच समिति द्वारा अनुमोदन के बाद जारी किया जाएगा।
      • कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा आबंटित मात्रा स्वीकार करने और एमएनआरई के फार्मेट के अनुसार, विस्तृत प्रस्ताव दी गई समय-सीमा में प्रस्तुत करने पर एमएनआरई द्वारा अंतिम स्वीकृति जारी की जाएगी।
      • पंपिंग प्रणाली के सौरीकरण अथवा स्थापना के लिए परियोजनाएं, एमएनआरई द्वारा स्वीकृति की तिथि से 24 माह के भीतर पूरी की जाएगी। कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा वैध कारण प्रस्तुत करने पर, परियोजना पूरी करने की समय-सीमा में तीन माह से अधिक की अवधि तक विस्तार पर एमएनआरई के समूह प्रमुख स्तर पर और 6 माह तक विस्तार के लिए सचिव, एमएनआरई के स्तर पर विचार किया जाएगा।
      • चुने गए वेंडर को आवंटन पत्र (लेटर ऑफ अवार्ड) प्रस्तुत करने पर ही कार्यान्वयन एजेंसी को स्वीकृत मात्रा के लिए लागू सीएफए के 40% तक अग्रिम राशि के रूप में निधियां जारी की जाएंगी।
      • मंत्रालय द्वारा जीएफआर और अन्य संबंधित दस्तावेजों के अनुसार, निर्धारित फार्मेट में परियोजना पूरी होने संबंधी रिपोर्ट, उपयोग प्रमाण-पत्र स्वीकार करने पर, शेष पात्र सीएफए के साथ लागू सेवा शुल्क जारी किया जाएगा।
      • एमएनआरई द्वारा सीएफए एवं राज्य सरकार की सब्सिडी, प्रणाली लागत में समायोजित की जाएगी और लाभार्थी को केवल शेष राशि का भुगतान करना होगा।
    • घटक-ग (एफएलएस)
      • एफएलएस के तहत लागू सीएफए एफएलएस के कार्यान्वयन के कैपेक्स / रेस्को मोड के संदर्भ में निम्नलिखित ढ़ंग से जारी किया जा सकता है।
      • कैपेक्स: सौर विद्युत संयंत्रों की स्थापना के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी होने और चयन किये गए ईपीसी ठेकेदार के साथ कार्य संबंध करार (वर्क एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करने के बाद, डिस्कॉम को कुल पात्र सीएफए का 40% तक अग्रिम सीएफए जारी किया जाएगा। शेष सीएफए सौर विद्युत संयंत्र के सफलतापूर्वक चालू होने और संयंत्र द्वारा कृषि फीडरों को विद्युत की आपूर्ति शुरु करने पर जारी किया जाएगा।
      • रेस्को: कोई अग्रिम सीएफए नहीं। इसके अतिरिक्त, सौर विद्युत संयंत्र के सफलतापूर्वक चालू होने और वाणिज्यिक प्रचालन की तिथि (सीओडी) की घोषणा करने पर डिस्कॉम के माध्यम से रेस्को डेवलपर को कुल पात्र सीएफए का 100% तक सीएफए जारी किया जाएगा।

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