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    नवीन प्रौद्योगिकियां

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने विभिन्न नवीन तकनीकों पर आधारित निम्न कार्यक्रम शुरू किए हैं, इन कार्यक्रमों के अंतर्गत विभिन्न अनुसंधान, वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों, विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, उद्योग आदि में अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन परियोजनाएं शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं स्वदेशी अनुसंधान, और देश में औद्योगिक आधार, विशेषज्ञता, प्रशिक्षित मानवशक्ति और प्रोटोटाइप/उपकरणों/प्रणालियों के विकास में मदद कर रही हैं।

    भूतापीय ऊर्जा

    भारत में भू-तापीय संसाधनों का मानचित्रण भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा किया गया है। व्यापक अनुमान से पता चला है कि 10 जीडब्ल्यू भू-तापीय बिजली क्षमता संभावित है। भारत में लागत-कुशल भू-तापीय क्षमता स्थापित करने की दिशा में वर्तमान प्रयास किए जा रहे हैं।

    महासागरीय ऊर्जा

    क्रिसिल रिस्क एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस लिमिटेड के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई द्वारा दिसंबर 2014 में आयोजित किए गए एक अध्ययन के अनुसार, ज्वारीय शक्ति की संभावित क्षमता 12,455 एमडब्ल्यू है। गुजरात में खंबात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और दक्षिणी क्षेत्र, तमिलनाडु में पलक खाड़ी- मन्नार चैनल और पश्चिम बंगाल में हुगली नदी, दक्षिण हल्दिया और सुंदरबन, ये निम्न/मध्यम ज्वारीय तरंग शक्ति वाले संभावित क्षेत्र में हैं। ज्वारीय ऊर्जा अभी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) चरण में है और इसे भारत में व्यावसायिक पैमाने पर क्रियान्वित नहीं किया गया है। 30 करोड़ रुपये से लेकर 60 करोड़ रुपये प्रति एमडब्ल्यू की उच्च पूंजी लागत के कारण ज्वारीय शक्ति के दोहन के पूर्ववर्ती प्रयास सफल नहीं रहे।

    ऊर्जा भंडारण

    विभिन्न परिवर्तनशील उत्पादन स्रोतों के ग्रिडएकीकरण और संतुलन में ऊर्जा भंडारण बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रणाली का कुल लचीलापन बढ़ाकर, यह बिजली की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, शीर्ष मांग (पीक डिमांड) कम कर सकता है, वितरण/ट्रांसमिशन ग्रिड की क्षमता बढ़ा सकता है, विचलन दंडों से बचाव/कमी हो सकती है। आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों का उपयोग करने से ऐसे उपभोक्ताओं के लिए बिजली की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार करने की क्षमता बढ़ेगी। यह बैक-अप बिजली वाले अनुप्रयोगों में डीजल की खपत में भी कमी लाएगा। लागत और प्रदर्शन निर्धारण के संदर्भ में ऊर्जा भंडारण ईवी का मुख्य घटक है। स्वदेशी आधुनिक और विश्वसनीय ऊर्जा भंडारण का उपयोग करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग पर जोर दिए जाने से आयातित जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों पर देश की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। नीति आयोग, ऊर्जा भंडारण से संबंधित कार्य का समन्वय कर रहा है।