मंत्रालय में पहली बार अल्प-कालिक प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों के आयोजन के प्रावधान के साथ अक्षय ऊर्जा प्रशिक्षण के लिए एक योजना की शुरुआत करते हुए, परियोजना नियोजन, सिस्टम डिजाइन, उत्पाद विकास, प्रचालन, रखरखाव और स्थापित प्रणालियों की मरम्मत के लिए वर्ष 1999-2000 में एक व्यवस्थित जनशक्ति विकास प्रयास की शुरुआत की गई।
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) योजना के अंतर्गत अल्प-कालिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना, चालू करने, प्रचालन और रखरखाव के लिए जनशक्ति (मेनपावर) को प्रशिक्षित करने हेतु सूर्यमित्र, वरुणमित्र, वायुमित्र और जलऊर्जामित्र नामक कौशल विकास कार्यक्रमों की शुरुआत की गई।
मंत्रालय और इसके संबद्ध कार्यालयों तथा विशेषीकृत संस्थानों में स्वायत्त निकायों में कार्यरत पेशेवरों का प्रशिक्षण और अक्षय ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं पर कार्य करने वाली जनशक्ति का प्रशिक्षण।
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में विद्यार्थियों और पेशेवरों (प्रफेश्नल्स) को आकर्षित करने और विश्वविद्यालयों/तकनीकी संस्थानों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं पर काम करने के लिए जनशक्ति तैयार करने हेतु वर्ष 1999 – 2000 के दौरान एक राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा फेलोशिप योजना भी शुरू की गई थी। फेलोशिप योजना के तहत अक्षय ऊर्जा के सभी पहलुओं पर अनुसंधान करने के लिए अधिक विश्वविद्यालयों/संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों का भी सहयोग दिया जाता है। इस तरह अनुसंधान और विकास कार्यक्रम केवल कुछ प्रौद्योगिकी संस्थानों तक ही सीमित नहीं होंगे, बल्कि इसका देश भर में व्यापक प्रसार होगा।
मानव संसाधन विकास कार्यक्रम आईटीआई, डिप्लोमा और डिग्री पाठ्यक्रमों में शामिल करने के लिए विशेषज्ञ(ज्ञों)/विशेषज्ञ संस्थानों(नों) के माध्यम से शिक्षाशास्त्र (पेडगॉगी), मॉडल पाठ्यक्रम सहित प्रशिक्षण मॉड्यूलों के विकास के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को शामिल करने के लिए तकनीकी संस्थानों की पाठ्यक्रम आवश्यकताओं का भी समाधान करता है।