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    बायो ऊर्जा अवलोकन

    जैव ऊर्जा विहंगावलोकन

    भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत संचयी स्थापित विद्युत क्षमता और वर्ष 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लक्ष्य के साथ एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन यात्रा आरंभ की है। महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्य को प्राप्त करने एवं ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अपने देश में उपलब्ध अक्षय ऊर्जा विकल्पों का अधिकतम उपयोग किया जाना आवश्यक है। ऐसा ही एक विकल्प आधुनिक जैवऊर्जा है। देश में, बायोमास एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ की बड़ी मात्रा में उपलब्ध अधिशेष, इन संसाधनों से ऊर्जा की प्राप्ति एक व्यवहार्य समाधान है। आधुनिक जैव ऊर्जा अपने आप में विशिष्ट है क्योंकि यह स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के अतिरिक्त कई सामाजिक एवं पर्यावरणीय लाभ प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, जैव ऊर्जा अनुप्रयोग वायु, जल एवं भूमि प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं। ये स्थानीय रोजगार एवं व्यापार के अवसर भी उपलब्ध करा सकते हैं और ऊर्जा आयात बिलों में कमी ला सकते है। ये विकेंद्रीकृत एवं स्वतंत्र समुदायों को विकास करने में मदद कर सकता है। इनसे, निजी क्षेत्र को भी अपने उद्योगों को कारबानमुक्त करने के अवसरों के रूप में लाभ हैं। अन्य लाभ में उर्वरक सबसिडी पर बचत और अपशिष्ट प्रबंधन की लागत में कमी शामिल है। अत: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने चरण-1 के तहत 858 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय जैवऊर्जा कार्यक्रम को दिनांक 01.04.2021 से 31.03.2026 तक की अवधि के लिए अधिसूचित किया है।

    राष्ट्रीय जैवऊर्जा कार्यक्रम में निम्नलिखित उपयोजनाएं शामिल होंगी:

    1. अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा संबंधी
      कार्यक्रम)
    2. बायोमास कार्यक्रम (ब्रिकेट एवं पैलेट के निर्माण में सहायता और उद्योगों में बायोमास (गैर-खोई) आधारित उद्योगों में सह उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योजना)
    3. बायोगैस कार्यक्रम।

    उपरोक्त कार्यक्रमों की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं:-

    अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम:

    1. शहरी, औद्योगिक, कृषि अपशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से बायोगैस/बायोसीएनजी/विद्युत के रूप में ऊर्जा की प्राप्ति के लिए एमएनआरई, वर्ष 2018 से शहरी, औद्योगिक, कृषि अपशिष्ट/अवशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है।
    2. वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए कार्यक्रम के नए दिशानिर्देशों के तहत, बड़े बायोगैस,बायोसीएनजी एवं विद्युत संयंत्रों (एमएसडब्ल्यू से विद्युत परियोजनाओं को छोड़कर) की स्थापना के लिए परियोजनाओं हेतु केंद्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
    3. देश में जैव-सीएनजी (कम्प्रेस्ड बायोगैस-सीबीजी) के उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं ताकि जैव-उर्वरकों का उत्पादन करने के अलावा वाहनों, कैप्टिव ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए उद्योगों, खाना पकाने आदि के लिए उद्योगों को पूरा किया जा सके और भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की सतत (किफायती परिवहन की ओर सतत विकल्प) योजना के माध्यम से 2023 तक 5000 संयंत्रों से 15 एमएमटी सीबीजी के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया तेल विपणन कंपनियों ने परियोजनाओं को बैंक योग्य बनाने के लिए सीबीजी पर दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण की पेशकश की है और सीबीजी पर दीर्घकालिक समझौतों को निष्पादित करने के लिए सहमत हुए हैं। कार्यक्रम का बायोसीएनजी घटक पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की सतत पहलों का समर्थन करता है।

    बायोमास कार्यक्रम:

      1. एमएनआरई 1990 के दशक से देश में बायोमास पावर और खोई सह-उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम को लागू कर रहा है। बायोमास-आधारित सह-उत्पादन कार्यक्रम (मई 2018 में शुरू किया गया) चीनी मिलों और अन्य उद्योगों (चावल, पेपर मिल, आदि) में सह-उत्पादन प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के बायोमास संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिए सह-उत्पादन को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा था।
      2. कार्यक्रम जो पहले सह-उत्पादन पर केंद्रित था अब बिजली उत्पादन के लिए पैलेट एवं ब्रिक्रेट के निर्माण में सहायता करेगा। यह योजना तापीय ऊर्जा संयंत्रों में बायोमास के को-फाइरिंग संबंधी राष्ट्रीय मिशन के क्रियान्वयन में सहायता करेगी। इससे विशेष रूप से देश के उत्तरी राज्यों में पराली जलाने की प्रथा में कमी आएगी।
      3. कार्यक्रम के नए दिशा-निर्देश के तहत 2021—22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए, केंद्रीय वित्तीय सहायता विद्युत उत्पादन के लिए पैलेट एवं ब्रिकेट की स्थापना करने वाली परियोजनाओं एवं गैर-खोई आधारित विद्युत उत्पादन परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।

    बायोमास संभावित आकलन रिपोर्ट (मार्च, 2021)

    बायोगैस कार्यक्रम:

    1. एमएनआरई द्वारा वर्ष 1981-82 से राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से खाने पकाने एवं प्रकाश के लिए स्वच्छ गैसीय ईंधन उपलब्ध कराने के लिए लघु बायोगैस संयंत्रों की स्थापना को बढावा दिया जा रहा है।
    2. इसी प्रकार, विकेंद्रीकृत विद्युत उत्पादन के लिए 25 घनमीटर से 2500 घनमीटर की श्रेणी की क्षमता में मध्यम आकार वाले बायोगैस संयंत्र एवं 3-250 किलोवाट की श्रेणी में तापीय ऊर्जा अनुप्रोयोगों को एमएनआरई द्वारा वर्ष 2005-2006 से सहायता दी जा रही है।
    3. 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए नई योजना के तहत, प्रतिदिन 1 से 2500 क्यूबिक मीटर के बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि के साथ योजना के क्षेत्र को संशोधित किया गया है।