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    परिचय

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित मामलों के लिए भारत सरकार का नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय का व्यापक उद्देश्य नवीन और अक्षय ऊर्जा को विकसित एवं स्थापित कर, देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ती करना है।

    देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बढ़ती चिंता के साथ, हाल के दिनों में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका का महत्व बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1970 के दशक में तेल संकट के चलते दामों में दो बार बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप, ऊर्जा आत्मनिर्भरता को देश में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रमुख प्रेरक के रूप में पहचाना गया था। तेल की कीमत में अचानक हुई वृद्धि, इसकी आपूर्ति से संबंधित अनिश्चितताओं और भुगतान संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण मार्च, 1981 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत आयोग की स्थापना की गई। आयोग को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए नीतियां बनाने और कार्यान्वित करने तथा ऊर्जा के विकास के लिए क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में समन्वयन और तेजी लाने के आलावा, कार्यक्रम बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। वर्ष सितम्बर, 1982 में अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत आयोग (केस) को शामिल करके, तत्कालीन ऊर्जा मंत्रालय में एक नया विभाग अर्थात गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस) की स्थापना की गई। अक्टूबर 2006 में, मंत्रालय का नाम बदलकर नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कर दिया गया।

    विज़न

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं, सामग्रियों, उपकरणों, उप-प्रणालियों, उत्पादों और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय विनिर्देशनों, मानकों और प्रदर्शन मानदंडों के समान विकसित करना ताकि इस क्षेत्र में देश को शुद्ध विदेशी मुद्रा अर्जक बनाया जा सके; और ऊर्जा सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्य को आगे बढ़ाने में स्वदेशी रूप से विकसित और / अथवा निर्मित उत्पादों एवं सेवाओं की स्थापना की जा सके।

    मिशन

    • ऊर्जा सुरक्षा: घरेलू तेल आपूर्ति और मांग के बीच अंतर को पाटने में योगदान देने के लिए हाइड्रोजन, जैव-ईंधन और सिन्थेटिक ईंधनों जैसे वैकल्पिक ईंधनों का विकास और उनकी स्थापना करना तथा उनका अनुप्रयोग करना।
    • स्वच्छ विद्युत की हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी: जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत उत्पादन में पवन, जल विद्युत, सौर, भू-तापीय, जैव एवं ज्वारीय विद्युत जैसी अक्षय ऊर्जा द्वारा सहयोग करना।
    • ऊर्जा उपलब्धता और पहुँच: ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में खाना पकाने, गर्म करने, प्रेरक विद्युत (मोटिव पावर) और कैप्टिव उत्पादन की ऊर्जा आवश्यकताओं में सहायता करना।
    • ऊर्जा किफ़ायतता: लागत-प्रतिस्पर्धी, सुविधाजनक, सुरक्षित, किफायती और भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्ति के विकल्प देना।
    • ऊर्जा साम्यता: स्थायी और विविध ईंधनों का मिश्रण करके वर्ष 2050 तक प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत को वैश्विक औसत स्तर के समतुल्य करना।

    कार्य का आवंटन

    नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) एक वैज्ञानिक मंत्रालय है जिसे कार्य आवंटन नियम के तहत निम्नानुसार विषयों/कार्य का आबंटन किया गया हैः

    • बायोगैस से संबंधित अनुसंधान एवं विकास और बायोगैस इकाइयों से संबंधित कार्यक्रम
    • अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत आयोग (केस)
    • सौर फोटोवोल्टेक उपकरणों सहित सौर ऊर्जा और उनका विकास, उत्पादन और अनुप्रयोग करना
    • 25 मेगावाट या इससे कम क्षमता की लघु / मिनी / माइक्रो जल विद्युत परियोजनाओं से संबंधित सभी मामले
    • उन्नत चूल्हे और उनके अनुसंधान और विकास से संबंधित कार्यक्रम
    • भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था (इरेडा)
    • अन्य गैर-परंपरागत / अक्षय ऊर्जा स्रोतों का अनुसंधान एवं विकास और उनसे संबंधित कार्यक्रम
    • ज्वारीय ऊर्जा
    • समेकित ग्रामीण ऊर्जा कार्यक्रम
    • भूतापीय ऊर्जा

    कार्य

    ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में परिवहन, चल और अचल अनुप्रयोगों के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा में अनुसंधान डिजाइन, विकास निर्माण और स्थापना के लिए निम्नलिखित के माध्यम से सुविधा प्रदान करना:

    • टेक्नॉलजी मैपिंग और बेंचमार्किंग
    • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान, डिजाइन, विकास और निर्माण की पहचान करना और इसके लिए सुविधा प्रदान करना
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तरों के समान मानकों, विनिर्देशनों और प्रदर्शन मानदंड निर्धारित करना और इसके लिए उद्योग को सुविधा प्रदान करना
    • उपयुक्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता आश्वासन मान्यता और इसे हासिल करने में उद्योग को सुविधा प्रदान करना
    • लगातार उन्नयन करने के उद्देश्य से नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों और सेवाओं के प्रदर्शन मानदंडों के संबंध में निर्माताओं को लगातार जानकारी प्रदान करना ताकि कम से कम समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर हासिल किया जा सके
    • उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा और निवल विदेशी मुद्रा अर्जक बनने, संसाधन सर्वेक्षण, आकलन, मानचित्रण और प्रचार-प्रसार करने में सुविधा प्रदान करना
    • ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जिनमें राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों और सेवाओं का उपयोग किए जाने की आवश्यकता है
    • संसाधन सर्वेक्षण, आकलन, मानचित्रण और प्रचार-प्रसार करना
    • विभिन्न स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित विभिन्न नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादों एवं सेवाओं की स्थापना के लिए कार्यनीति बनाना
    • किफायती नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्प उपलब्ध कराना