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रीन्यू, जो “भारत की सबसे बड़ी स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों में से है, इस तथ्य को मानती है कि महिलाएं जलवायु परिवर्तन से असमान रूप से प्रभावित होती हैं। इसलिए यह जरूरी है कि वे समाधान खोजने के केन्द्र में भी हों। हमारे जलवायु के लिए महिला कार्यक्रम का लक्ष्य ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए महिलाओं को शामिल करना है।”
रीन्यू पावर द्वारा प्रोजेक्ट सूर्याः जलवायु के लिए महिलाएं
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी के साथ साझेदारी में सेल्फ एम्पलॉयड वीमेन्स एसोसिएशन (सेवा) जून, 2022 में गुजरात में शुरू किया गया है, ताकि कच्छ दलदल के बहुत कठोर रण में काम करने वाली शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण और पारंपरिक नमन उद्योक के वंचित और बेहद कम वेतन पाने वाली अगरिया महिलाओं की सहायता की जा सके और उन्हें सौर पैनल तथा सौर पंप तकनीशियनों के रूप में प्रशिक्षित करके आधुनिक स्वच्छ ऊर्जा उद्योग में रोजगार दिलाने में और जलवायु परिवर्तन के समाधान में आगे आने में मदद मिल सके।
यह कार्यक्रम धोकावाड़ा, पाटन में लगभग 60 महिलाओं के साथ जून, 2022 में शुरू किया गया था और अंततः गुजरात में नवीकरणीय सुविधा केन्द्रों में इन नई स्वच्छ परिवर्तनकारी भूमिकाओं/सहायक भूमिकाओं में लगभग 1000 महिलाओं (अगरिया श्रमिकों) को प्रशिक्षित किया जाएगा और भारत सरकार के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा सहायता दी जाएगी। इस कार्यक्रम को संभावित रूप से देश के अन्य हिस्सों में कम आय वाली विभिन्न पीढ़ी की पारंपरिक आजीविकाओं में हजारों महिलाओं और उससे भी अधिक तक बढ़ाया जा सकता है, जो उन्हें अधिक संगठित क्षेत्र में आय सृजन में सहायता करते हैं, सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हैं और भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को सक्षम बनाते हैं।
भारत में नमक का उत्पादन बहुत कठिन कार्य है और महिलाओं को बंजर थार रेगिस्तान/दलदल, जहाँ कच्छ का रण स्थित है, जहाँ उन्हें झोपड़ियाँ स्थापित करनी पड़ती हैं, कुएं खोदने पड़ते हैं और नमकीन पानी को पंप करना पड़ता है, जिसे वे पैन की एक श्रृंखला के माध्यम से छानते हैं, अंततः नमक को क्रिस्टलीकृत करते हैं, के अध्यधिक तापमान का सामना करना पड़ता है। पंपिंग के अलावा, प्रक्रिया के सभी हिस्सी मैन्युअल रूप से पूरे किए जाते हैं। ये अगरिया महिलाएं जो आमतौर पर नमक पैन के अलावा अस्थायी झोपड़यों में छह से सात महीने तक रही हैं, आमतौर पर बिना संविदा के काम करती हैं और वेतन बहुत कम है और कर्ज तथा गरीबी के चक्र में फंस गए हैं। वास्वत में 8 से 10 महीनों में वे केवल 10,000 रु. बचा पाती हैं, जबकि औसतन एक सौर पैनल तकनीशियन, जिसके लिए इन सेवा बहनों में से कुछ प्रशिक्षित होने जा रही हैं, एक महीने में औसतन 12,000-18,000 रु. कमा सकता है।
रिन्यू पावर द्वारा महिला जलवायु चैंपियन
यूएनडीपी और आईआईटी दिल्ली के साथ साझेदारी में रीन्यू पावर महिला जलवायु उद्यमियों के लिए एक व्यावसायिक प्रभाव त्वरक कार्यक्रम पर काम कर रहा है, जो सबसे जटिल जलवायु और ऊर्जा से संबंधित मामलों को हल करेगा। 6 जलवायु उद्यमियों के पहले समूह में ऊर्जा दक्षता, भंडारण, इलेक्ट्रोड, परिपत्रता, समुद्री जल विलवणीकरण जैसे क्षेत्र शामिल हैं। लक्ष्य इस कार्यक्रम को साल दर साल जारी रखना और भारत के जलवायु कार्यक्रम एजेंडे में योगदान करने के लिए महिला जलवायु उद्यमियों का एक संवर्ग सुनिश्चित करना है।
रिन्यू फावर द्वारा स्वच्छ रसोई कार्यक्रम
ग्रामीण भारत में अधिकांश महिलाएं पारंपरिक कुकस्टोव पर निर्भर करती हैं, जो रसोई के लिए भारी मात्रा में जलावन का उपयोग करते हैं। ये कुकस्टोव न केवल खाना पकाने के समय को बढ़ाते हैं, जिससे एक महिला के उत्पादक घंटे कम हो जाते हैं, बल्कि बड़ी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन होता है, जो एक महिला के श्वसन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। मध्य प्रदेश के धार क्षेत्र में हमने हाल ही में एक बेहतर कुकस्टोव पहल शुरू की है, जो मुख्य रूप से प्राथमिक ईंधन के रूप में अपनी जलाऊ लकड़ी पर निर्भर 10,000 परिवारों को प्रभावित करेगी। बेहतर कुकस्टोव कुशल डिजाइन और दहन के सिद्धांतों पर आधारित है और जलाऊ लकड़ी के उपयोग में कमी सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है, जो न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करता है बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। इस परियोजा में प्रतिवर्ष 30,000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड को कम करने की क्षमता है।